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Supreme Court ने PMLA की धारा 45 पर महाभियोग पर जमानत की दोहरी शर्त पर दिया निर्देश

Supreme Court ने आज एक अहम फैसले में साफ किया है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोई आरोपी कोर्ट के समन पर पेश होता है तो उसे PMLA की धारा 45 के तहत जमानत की दोहरी शर्त पूरी नहीं करनी होगी. Supreme Court ने फैसले में साफ कर दिया कि जमानत की दोहरी शर्त सिर्फ उन आरोपियों पर लागू होगी जिन्हें जांच के बाद गिरफ्तार किया गया है.

Supreme Court का यह फैसला उस मामले में आया है जिसमें सवाल उठाया गया था कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए दोहरी सुनवाई से गुजरना होगा। जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने 30 अप्रैल को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर आरोपी समन के मुताबिक कोर्ट में पेश होता है तो उसे हिरासत में ले लिया जाए. ED को कोर्ट में आवेदन करना होगा और पर्याप्त सबूत भी दिखाने होंगे.

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PMLA की धारा 45 में दोहरी शर्त का प्रावधान

PMLA की धारा 45 में जमानत की दोहरी शर्तों का प्रावधान है, जिसके कारण आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है। PMLA की धारा 45 के तहत जमानत देते समय अदालत को इस बात से संतुष्ट होना होगा कि आरोपी ने वह अपराध नहीं किया है और जमानत की अवधि के दौरान या भविष्य में ऐसा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकते

कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कोर्ट के समन पर पेश होता है तो उसे PMLA की धारा 19 के तहत दिए गए अधिकार के तहत सीधे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. अगर ED को उस आरोपी की कस्टडी चाहिए तो उसे कोर्ट से ही कस्टडी की मांग करनी होगी. अदालत तभी हिरासत में लेने का आदेश देगी जब एजेंसी के पास पूछताछ की आवश्यकता साबित करने के लिए मजबूत कारण होंगे। इसके अलावा निचली अदालत में रिमांड अर्जी दाखिल कर कोर्ट को आश्वस्त करना होगा कि रिमांड क्यों जरूरी है.

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